Monday, March 8, 2010

रिश्तों की कहानी-हिन्दी व्यंग्य कविता (ujde rishtton ki kahnai-hindi vyangya kavita)

अपनी दर्द भरी बातें
किसी को क्या सुनायें,
रोते लोगों क्या रुलायें,
सभी अपने गम छिपाने के लिये
दूसरों के घावों पर हंसने का
मौका ढूंढ रहे हैं।
अपने साथ हुए हादसों के किस्से
किसको सुनायें,
आखिर लोग उनको मुफ्त में क्यों भुनायें,
अपनी जिंदगी में थके हारे लोग
जज़्बातों के सौदागर बनकर
दूसरों के घरों के उजड़े रिश्तों की कहानी
बेचने के लिये घूम रहे हैं।

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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