Saturday, March 13, 2010

साफ सुथरा इंसान-हिन्दी क्षणिकायें (saf suthara insan-hindi short poem)

आपस में जाम टकराते हुए लोग
नैतिकता की बात करने लग जाते हैं,
फिर सुनाते हैं अपनी कमाई के नुस्खे
जैसे दो नंबर की कमाई एक नंबर की हो
सीना फुलाकर उसकी कहानी सुनाते है।।

बहुत अच्छा लगता है
आदर्श और नैतिकता की बात करते हुए
बशर्त है आदमी स्वयं से छिप सकता हो।
वही कहलाता है साफ सुथरा इंसान
जो दूसरों पर इल्जाम लगाने में
कभी देर नहीं करता
पर बात अगर अपने पर आ जाये तो
जमाने का जिम्मेदार बताते हुए
अपना कसूर अपनी नज़र बचा सकता हो।

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

No comments:

इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका

दीपक भारतदीप का चिंतन