Monday, January 28, 2013

अपना निष्कर्ष-हिंदी कविता (apna nishkarsh-hindi kavita or self dicision-poem)

चिंत्तन  कुछ यूं भटक गया है,
जिस रास्ते हम चले
वही है यह
तय नहीं कर पा रहे
लगता है कभी कभी
नहीं तय हो रही दूरी
लक्ष्य ही शायद आकाश में अटक गया है।
कहें दीपक बापू
महाबहसें सुनते सुनते
बुद्धि हो जाती कभी कभी कुंद
दूसरों की सोच सुनते सुनते
लगता है यूं
अपना निष्कर्ष ही कहीं टपक गया है।

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लेखक-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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Saturday, January 5, 2013

मोमबत्तियों से हमदर्दी-हिन्दी कविता (mombattiyon se hamdardi-hindi kavita)


हादसों पर मोमबत्तियां जलाकर
मातम मनाओ
बच्चों को यह सिखा दिया,
सामाजिक है हम लोग
सारे संसार को दिखा दिया।
कहें दीपक बापू
सड़क पर कराहता कोई घायल,
नहीं सुनता कोई चीख
डरते हैं सभी कोई मदद की न मांगे भीख,
मुंह फेर जाते हैं देखने वाले,
लगाकर अपनी सोच पर ताले,
ज़माने पर लगता है मतलबपरस्ती का आरोप
रौशनी से चकाचौंध सड़क पर
यूं मोमबत्तियां जलाकर
जख्मों से हमदर्दी जता रहे है,
सर्दी में अपने शरीर को सता रहे हैं,
रोने में हम भी नहीं किसी से कम
दुनियां को यह बता दिया,
न हल्दी लगे न फिटकरी
रंग आयेगा चोखा
यह नयी पीढ़ी को अच्छी तरह सिखा दिया।


लेखक-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
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