कभी गम तो कभी खुशी
कभी दर्द तो कभी हँसी के साथ
कविता लिखने का ख्याल किया
तब भाषा सजाने के साथ
शब्द को जोर से बजाने का सोच नहीं आया.
कोशिश की रस के रंग दिखाने
और अलंकार से कविता सजाने की
मिले जिससे भाषा विद्वान की उपाधि
तब कविता को अपने दिल के भाव से दूर पाया..
____________________
कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
------------------------
दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका