Saturday, March 13, 2010

क्रिकेट और फिल्म का घालमेल-हिन्दी हास्य कविता (combination of cricket and film-hind comic poem)

आशिक जूझ रहा था
क्रिकेट खिलाड़ी बनने के लिये
तो माशुका भी खड़ी थी
फिल्म अभिनेत्री बनने की पंक्ति में
कई उसने साक्षात्कार भी दिये।
बढ़ते जा रहे थे दोनों के कदम
इश्क के साथ
अपने लक्ष्य की तरफ भी सफलता के लिये।
पर आशिक की चिंतायें बढ़ रही थी
रौशन करना चाहता था वह अब
अपने घर में ही इश्क के दिए।
वह बोला माशुका से
‘अब तो मैं नामी खिलाड़ी बनने जा रहा हूं,
अपने रनों और विकेटों की बरसात में नहा रहा हूं,
पर डरता हूं
तुम्हारे और मेरे इश्क का क्या होगा
कहीं बिछड़ न जाये,ं
आओ अपना घर बसायें,
अपने अमर प्रेम के लिये।’
सुनकर बोली माशुका
‘क्यों घबड़ाते हो,
मैं भी सैट पर नृत्य करती हूं
जब तुम मैदान में रन बनाते होे,
हमारा बिछड़ना अब संभव नहीं,
फिल्म और क्रिकेट का
घालमेल हो गया है हर कहीं,
जब तुम नामी खिलाड़ी हो जाओगे,
मुझे भी बड़ी अभिनेत्री की तरह पाओगे,
कभी न कभी तुम्हारी भी लगेगी नीलाम बोली,
कोई टीम मैं भी खरीदूंगी
जिसमें समायेगी तुम्हारी भी टोली,
वैसे क्या रखा है दूल्हे की तरह बिकने में,
मजा है बिकाऊ क्रिकेट खिलाड़ी दिखने में,
दहेज का शब्द हो गया है बदनाम,
नीलामी में दूंगी तुम्हें ढेर सारे इनाम,
माल तो अपने ही घर आयेगा,
हर कोई देखकर जल जायेगा,
इश्क बाजी में कीर्तिमान बनाकर रख देंगे
आने वाली पीढ़ी के लिये।
लोग गायेंगे इश्क के साथ हमारी
दौलत के भी गीत,
नहीं देखी होगी किसी ने ऐसी प्रीत,
अभी घर संसार बनाकर
गुमनामी के अंधेरे में खोकर जिये
तो फिर क्या खाक जिये।’

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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