Tuesday, April 27, 2010

आईपीएल खत्म होते ही पाठक संख्या बढ़ी-हिन्दी लेख (IPL and HIndi blog-hindi lekh)

आईपीएल क्रिकेट प्रतियोगिता खत्म होने के अगले दिन ही अगर ब्लाग पर पाठक संख्या बढ़ने लगे तो विचारणीय विषय तो बनता ही है। यह लेखक पहले क्रिकेट का बहुत शौकीन था पर जब इसमें फिक्सिंग की बात आयी तो फिर मन विरक्त हो गया। 2006 में भारत विश्व कप प्रतियोगिता से बाहर हो गया तो उसके बाद लगभग क्रिकेट से मन हट ही गया। अंतर्जाल पर आने से पता लगा कि ऐसा अनेक लोगों के साथ हुआ है। हालत यह हो गयी थी कि 10 महीने तक अपने देश के लोगों के लिये क्रिकेट यहां एक ‘‘गंदा खेल’’ बन गया मगर फिर 2007 में भारत की क्रिकेट टीम को बीस ओवरीय विश्व कप प्रतियोगिता में जीत मिली तो फिर यह खेल लोकप्रिय हुआ। अब जिस तरह क्रिकेट मैचों में फिक्सिंग के आरोप लग रहे हैं उससे तो लगता है कि इसमें भारत को जबरन जितवाया गया था ताकि यहां के लोगों द्वारा इस पर खर्च लगातार किया गया जाये-याद रहे इस क्रिकेट केवल भारत के धन पर ही चल रहा है।
एक बार ऐसा लगा कि यह खेल इतना लोकप्रिय नहंी बन पायेगा पर अब आसपास माहौल देखकर ऐसा लगता है कि पुरानी पीढ़ी के जो लोग निराश हो गये थे वह भी फिर इस खेल को देखने लगे। वैसे तो यह कहा जा रहा था कि इसे केवल सट्टे या दाव खेलने वाले ही अब इसमें रुचि ले रहे हैं पर अब ऐसा लगने लगा है कि इसमें फिर लोग ‘‘ईमानदार मनोंरजन’’-यह बात आजकल एक खूबसूरत सपना ही है- तलाश रहे थे। थे इसलिये लिखा क्योंकि अब फिर इस पर उंगलियां उठने लगी है।
हिन्दी ब्लाग लिखने के साथ ही पाठक भी अच्छी संख्या में मिलने लगे थे। पिछली बार आईपीएल अफ्रीका में हुआ तब भी इतना अधिक पाठक संख्या में अंतर नहंी आया था। मार्च के आखिरी सप्ताह से जब भारत के परीक्षाकाल चलता है तब पाठक संख्या गिरती है। यह हुआ भी! मगर इधर आईपीएल प्रारंभ होते ही तो स्थिति बदल गयी। इसी दौरान एक ऐसी घटना भी हुई जिसने हिन्दी ब्लाग जगत में पाठक संख्या का भारी संकट दिखाई दिया। वह यह थी कि पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी-उस भी फिक्सिंग का आरोप हैं और अभी तक अपने देश की टीम से बाहर है-भारत की एक महिला टेनिस खिलाड़ी से प्रेम प्रसंग सामने आया। उसमें भी पैंच था। वह यह कि उसने भारत की उसी शहर एक लड़की से उसने निकाह किया था जहां महिला टेनिस खिलाड़ी रहती थी। जब वह भारत में अपनी भावी वधु के शहर पहुंचा तो पूर्व वधु ने उस पर मुकदमा दायर कर दिया। इस खबर की प्रचार माध्यमों में जमकर चर्चा हुई। उस समय हिन्दी ब्लाग संख्या एकदम गिर गयी। तब तो ऐसा लगने लगा कि क्रिकेट, टेनिस और फिल्म वाले मिलकर कोई ऐसा संयुक्त उद्यम चला रहे हैं जिससे संगठित प्रचार माध्यमों को निरंतर सनसनी और मनोरंजन के लिये सामग्री मिलती रहे। अब यह तो पता नहीं कि अंतर्जाल पर सक्रिय अन्य वेबसाईटों या ब्लाग की क्या स्थिति रही पर इस ब्लाग लेखक का अनुमान है कि कम से कम भारत में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की आवाजाही कम ही रही होगी।
जैसे ही किकेट और महिला टेनिस खिलाड़ी का मामला थमा, इस ब्लाग लेखक के ब्लाग पर पाठक संख्या बढ़ी। अब आईपीएल के मैच थमे तो अब गुणात्मक वृद्धि देखने में आयी है। अब है तीसरी क्षति की भरपाई। वह है परीक्षाकाल की! अब परीक्षायें तो समाप्त हो गयी हैं पर शिक्षक तथा छात्रों के साथ उनके पालकों को भी इस समय घर से बाहर अवकाश् को कारण प्रस्थान होता है और इस दौरान उनकी अतंर्जाल पर सक्रियता नहीं रह पाती। इस ब्लाग लेखक ने परीक्षाकाल तथा क्रिकेट मैच के दौरान पाठकों की कमी का अनुमान करते हुए एक पाठ लिखा था पर प्रेम प्रसंग एकदम अप्रत्याशित रूप से सामने आया।
कुछ दिनों पहले आस्ट्रेलिया का एक किस्सा सुनने में आया था जिसमें एक टीवी चैनल में रिपोर्टर ने अपने सनसनीखेज समाचारों के लिये पांच कत्ल करवाये थे। जहां कत्ल होता वह पुलिस से पहले पहुंच जाता और वहां से सीधे अपने चैनल को खबर देता था। इसलिये शक के दायरे में आ गया। जब हम भारत के संगठित -रेडियो, टीवी चैनलों, तथा समाचार पत्रों-की बात करते हैं तो यह बात तय है कि उनके आदर्श तो ऐसे ही गोरे देश हैं। मगर आस्ट्रेलिया की जनसंख्या कम है जबकि भारत में यह समस्या नहंी है। इसलिये यहां के प्रचार माध्यमों को बिना कत्ल कराये ऐसे ही समाचार मिल जाते हैं जो नाटकीय होते हैं। अधिकतर भारतीय टीवी चैनल फिल्म और क्रिकेट के सहारे हैं तो यही स्थिति क्रिकेट और फिल्म अभिनेताओं की भी है कि वह बिना प्रचार के चल नहीं सकते। इसलिये कभी कभी तो लगता है कि फिल्म और क्रिकेट के सक्रिय लोग योजनाबद्ध ढंग से ऐसे समाचार बनाते हैं जिससे दोनों का लाभ हो। आईपीएल को घोषित तौर से फिल्म जैसा मनोरंजन माना गया है।
वैसे जो स्थित सामने आयी है उससे तो लगता है कि आईपीएल विवाद के कारण क्रिकेट अपनी आभा फिर खो सकता है। जब यह विवाद चल रहा था तब उसे देखने वाले शायद समाचार सुन और पढ़ नहंी रहे थे इसलिये निरंतर चिपके रहे पर अब जब वह देखेंगे कि वह तो ठगे गये तब फिर उन्हें अपने मनोरंजन के लिये नये साधन तलाशने होंगे। हालांकि मई में बीस ओवरीप विश्व कप प्रतियोगिता हो रही है और उसमें बीसीसीआर्इ्र की टीम के-इसे भारत की प्रतिनिधि टीम होने का भ्रम पालना पड़ता है क्योंकि यह वहां अकेली जो होती है-प्रदर्शन को लेकर अनेक लोगों को संदेह है। वैसे तो पहले भी बुरी तरह हारी थी पर इस बार अगर इतना बुरा खेलती है तो गये काम से! इस दौरान पाठकों की संख्या पर अंतर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि यह भारतीय समयानुसार देर रात को खेले जायेंगे। बहरहाल यह बात भी दिल्चस्प है कि इस लेखक ने क्रिकेट देखना छोड़ा दिया है पर यह विषय है कि किसी न किसी रूप में चला ही आता है।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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