Saturday, April 24, 2010

बंदे पर क्या यकीन करना-हिन्दी व्यंग्य कविता (bande par kya yakeen karna-hindi shayari)

शौहरत के शिखर पर वह बैठे हैं
नीचे आने से उनको डर लगता है,
उनके ऊंचे इंसान होने का वहम
बना हुआ है लोगों में
नीचे आने पर
अपने बौने चरित्र की पहचान होने से
उनका दिल घबड़ाने लगता है।
----------
साधु ही हमेशा मौन की राह नहीं अपनाते,
कसूरवार भी उसकी आड़ में अपने को छिपाते।
ओढ़ लेते हैं कभी कभी शैतान भी मौन
अपनी काली कारतूत पर साधुता की संज्ञा लिखाते।
---------
केवल सर्वशक्तिमान पर यकीन करना,
बंदे को आज नहीं तो कल है
अपने ही कर्म का फल भरना।
जिसको नहीं अपनी जिंदगी पर यकीन
उनसे निभाने की क्या उम्मीद करना।
----------

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

No comments:

इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका

दीपक भारतदीप का चिंतन