Tuesday, June 14, 2011

बात हमेशा होती है लाजवाब-हिन्दी साहित्यक कविताएँ (baat hamesha hotee hai lajawab-hindi literature poem)

चेतन है
पर जड़ जैसे दिखते हैं,
कलम उनके हाथ में
पर दूसरे के शब्द लिखते हैं।
चमकदार नाम वही चारों तरफ
पर उनके चेहरे बाज़ार में
दाम लेकर बिकते हैं।
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एक सवाल उठाता है
दूसरा देता है जवाब।
बहसें बिक रही है
विज्ञापन के सहारे
चेहरे पहले से तय हैं,
जुबान से निकले
और कागज़ में लिखे शब्द भी
पहले से तय हैं,
निष्कर्ष कोई नहीं
पर बात हमेशा होती है लाजवाब
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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