Sunday, August 15, 2010

आधा लड्डू का स्वतंत्रता दिवस-हास्य कविता (gulamom ka svatatrata divas-hasya kavita)

मालिक ने स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिये
काम पर एक घंटा पहले अपने गुलामों को बुलाया,
यह आमंत्रण एक गुलाम को रास न आया,
वह बोला,
‘‘मालिक आधे लड्डू के लिये
आप हमें काम पर एक घंटे पहले न बुलायें,
ताकि हमारे बेटी बेटियां भी इसे मनाऐं,
कल हम लोगों में से कुछ उनको
स्वतंत्रता दिवस पर छोड़ने स्कूल जायेंगे,
वह भी वहां जश्न मनाऐंगें,
आप निश्चित रहें
अपने तय समय पर यहां
आपकी सेवा में जरूर हाज़ि़र हो जायेंगें।’’
सुनकर मालिक बोला-
‘‘भूलो मत तुम्हारी रोजी रोटी
यहीं से चल रही है
यह स्वतंत्रता दिवस अपने ही लोगों के
मालिक बन जाने पर मनाया जाता है,
जिनकी कृपा से तुम्हारे चूल्हे की आग जल रही है,
अरे,
इसे हमारे साथ मिलकर उत्साह से मनाओ, खाकर भी हमारी कृपा के पूरे गुन गाओ,
जिन्होंने की इस आमंत्रण की उपेक्षा,
समझो, वह बाद में वह देर से आने पर वह पछतायेंगे।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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