Saturday, September 20, 2014

युग बदल गया-हिन्दी कविता(yug badal gaya-hindi poem




जहां तक देखो
फैला है चारों तरफ
नरमुंडों का समंदर।

फिर भी उठती नहीं
दिखती संवेदनाओं की लहरें
लगता है जैसे भाव का बहना
अब होता नहीं हृदयों के अंदर।

कहें दीपक बापू युग बदल गया
यह कहा जाता है,
विकास के बाद
विनाश का मार्ग भी पाया जाता है,
नाच रहा है दौलतमंदों के डमरू पर
हर इसांन खुश होकर
जैसे एक फिर बन गया बंदर।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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