पूरे शहर में
स्वच्छता
जरूर होना चाहिए
सभी मानते हैं।
लोग फैलाते हैं
स्वयं गंदगी
जानबूझकर
कोई आयेगा साफ
करने
यह जानते हैं।
कहें दीपक बापू
सुविधा युग
जब से आया है,
ज़माने की बुद्धि
पर
अंधेरा छाया है,
शराब और सिगरेट
बन गये संस्कार
का हिस्सा,
पहले पीते थे
छिपकर
अब सुनाते लोग
शान से किस्सा,
गंदगी फैलाने
में सभी हो गये माहिर
साफ करने की बात
पर
भौहें तानते
हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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