Friday, September 12, 2014

आओ आनंद मनायें-14 सितम्बर हिन्दी दिवस पर विशिष्ट व्यंग्य कविता(aao anand manayen-A Hindi satire poem on 14 september hindi day, hindi diwas,hindi divas)




हमारी मातृभाषा हिन्दी है
आओ हम सब मिलकर
समूह में गायें।

वाणी से भले ही
निकलते हैं हिंग्लिश के शब्द
पर हमारे हृदय की साम्राज्ञी
हिन्दी भाषा है
सारे संसार को समझायें।

कहें दीपक बापू अंग्रेजी कालीन पर
भले चलते हैं हमारे कदम
उसके नीचे धूल की तरह
हिन्दी पड़ी हुई अभी
हमने उसे झाड़कर
बाहर नहीं फैंका
आओ यह बात स्वयं को
समझाकर आनंद मनायें।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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