Tuesday, September 9, 2014

स्वर्ग बन जाता नरक-हिन्दी कविता(swarg ban jata narak-hindi poem;s)



इंसान बनाता मेहनत से महल
प्रकृति पल भर में
उसे ढहा देती है।

हम पुकारें जिसे स्वर्ग
पानी के साथ मिलकर हवा
उसे नरक बना देती है।

नदी को बांधते हैं
मगर नहीं मानती वह भी
मौका मिलते ही
किनारे भी बहा देती है।

कहें दीपक बापू जल प्रलय
पढ़ी थी ग्रंथों में
अब मिटती नहीं धरती,
बना दी है इंसानों ने ही
उसकी हस्ती,
यह अलग बात है
वह उनके सजाये सपनों के
टूट जाने पर
बहते खून में नहा लेती है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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