Monday, July 7, 2014

तरक्की के आसमान का पैमाना-हिन्दी व्यंग्य कवितायें(tarakki ke asman ka paimana-hindi satire poem's)



तरक्की का आसमान हमें वह दिखाते हैं,
गरीबी की बात करो तो मजबूरी में जीना सिखाते हैं।
कागज पर लिख रखे हैं उन्होंने तरक्की के पैमाने,
अपनी असलियत की बात करो तो बनते अनजाने,
रंगे हुए लोहे के सामान को जमा कर लिया है,
सब उधार का है  दिखाते जैसे कमा कर लिया है,
कहें दीपक बापू औकात की बात करो तो सीना तानते
पैसे का सवाल हो तो गरीबों की सूची में भी नाम लिखाते हैं।
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पता नहीं लोग कहां हुई तरक्की पर चर्चा करते हैं,
हम आज  भी हर जगह पेन से कागज पर पर्चा भरते है।
कहें दीपक बापू कागजी शेरों का हाथ में दी व्यवस्था
तरक्की बंद कर देते हैं वह अल्मारी मे
मजबूर को बेबस बनाकर जो अपना दिल भरते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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