Thursday, July 17, 2014

जागी शख्सियत तलाश-हिन्दी कविता(jagi shakhsiyat ki talash-hindi poem;s)




मधुर कर्णप्रिय शब्द बोले
ऐसे मुख की तलाश जारी है
पर कोई बोलता नहीं है,

किसी से अपनी बात
खुलकर कह सकें
ऐसे कान की तलाश जारी है
पर कोई खोलता नहीं है,

कोई हमारे जज़्बात को समझे
ऐसे दिल की तलाश जारी है
पर शब्दों कोई तोलता नहीं है,

कहें दीपक बापू जिंदा इंसानों में
जागी शख्सियत की तलाश जारी है
मगर कोई डोलता नहीं है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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