Wednesday, February 4, 2015

रोटी के वादे पका नहीं करते-हिन्दी कविता(roti ke vade paka nahin karte-hindi poem)


न पास ईंधन है
न चूल्हा
न ही आग
रोटी के वादे
कभी पका नहीं करते।

मस्तिष्क में किसी का भला
करने का विचार नहीं होता
फिर भी सपने बेचने वाले
कभी थका नहीं करते।

कहें दीपक बापू विश्वास पर
कोई खरा उतरता
कोई धोखे में डूब जाता है
कर जाते है गैर भी भला
जिनकी नीयत साफ होती
वह वफा करते
खाली शब्द बका नहीं करते।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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