कभी रोकर
कभी चीखकर
हमने क्या पाया,
जिंदगी के सफर में
हर मोड़ पर मुस्कराये तो
तकलीफों में अपने को
हंसता पाया।
------
हालतों का क्या
कभी अच्छी कभी बुरी होती हैं,
रोज ज़माना देखता है
हमारे चेहरे की तस्वीर
जो कभी हंसती कभी रोती है।
क्यों करे जंग हंसाई
अपने दिल के हाल बाहर दिखाकर
जिनकी उम्र कभी बड़ी नहीं होती है।
कभी चीखकर
हमने क्या पाया,
जिंदगी के सफर में
हर मोड़ पर मुस्कराये तो
तकलीफों में अपने को
हंसता पाया।
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हालतों का क्या
कभी अच्छी कभी बुरी होती हैं,
रोज ज़माना देखता है
हमारे चेहरे की तस्वीर
जो कभी हंसती कभी रोती है।
क्यों करे जंग हंसाई
अपने दिल के हाल बाहर दिखाकर
जिनकी उम्र कभी बड़ी नहीं होती है।
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
८.हिन्दी सरिता पत्रिका
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