Saturday, April 30, 2011

हिन्दी शायरी-हम बेजुबान हो गये (hindi shayari-ham bejuban ho gaye)

जिनको पहनाया ताज़
वही दौलत के गुलाम हो गये,
जिन ठिकानों पर यकीन रखा
वही बेवफाई की दुकान हो गये।
किसे ठहरायें अपनी बेहाली का जिम्मेदार
दूसरों की कारिस्तानियों से मिली जिंदगी में ऐसी हार
कि अपनी ही सोच पर
ढेर सारे शक और
मुंह से निकलते नहीं लफ्ज़
जैसे कि हम बेजुबान हो गये।
----------
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

८.हिन्दी सरिता पत्रिका

No comments:

इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका

दीपक भारतदीप का चिंतन