Saturday, January 8, 2011

इंसान पत्थर हो जाता है-हिन्दी शायरी (unko salam nahin kiya tha-hindi shayri)

कौन कहता है कि
प्यार करने से पत्थर भी पिघल जाता है,
सच तो यह है कि
कितना भी पुचकारो
पर मतलब न निकले तो
इंसान पत्थर हो जाता है।
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यूं तो उठाया था बोझ हमने भी
उनका सामान घर तक पहुंचाने का
मगर उन्होंने दाम नहीं दिया था,
उनकी नज़रें इनायत रही चमचों पर
हमने पाई बेकद्री
क्योंकि उनको सलाम नहीं किया था।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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