Wednesday, December 15, 2010

भरोसा जितना कीमती, धोखा उतना ही महंगा-हिन्दी व्यंग्य शायरी (keemti bharosa, mahanga dhokha-hindi vyangya shayari)

जैसे जैसे लोगों के चेहरे से
नकाब हट रहे हैं,
उनकी खतरनाक असलियत से
ईमानदारी के बादल छंट रहे हैं।
कमबख्त,
भरोसा भी क्या चीज है,
जिसने निभाया वह तो नाचीज है,
मगर धोखेबाजों के दिन
कारागृह की जगह महलों में कट रहे हैं।
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भरोसा जितना कीमती होता
धोखा उतना ही महंगा हो जाता है।
ईमानदारी का दाम कौन जाने
यहां हर बेईमान राजा हो जाता है।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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