Monday, May 17, 2010

फूल और पत्थर-हिन्दी शायरी (fool aur patthar-hindi shayari)

किसी पर फूल बरसाने से
भले ही लौट कर पांव में नहीं आते हैं,
पर फैंकने पर पत्थर दूसरे पर
अपने सिर पर भी चले पाते हैं।
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उनकी तारीफ में हम क्या बयां करते
पूरा ज़माना उनके पांव में बिछा हुआ था,
हमारे मुफ्त के लफज़ उस किराये की महफिल में
कोई असर नहीं डालते
क्योंकि वहां हर शख्स बिका हुआ था।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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