भ्रष्टाचार,
अत्याचार
और व्याभिचार को भी
जाति, भाषा और धर्म के नाम पर
बांटने की कोशिश जारी है,
अक्लमंद दिखाते हैं बहादुरी
अपने अपने हिस्से की शिकायतें उठाने में
शब्द खर्च करते
दूसरे की कमियां गिनाने में
हर हादसे पर देखते हैं बस यही कि
किसके चिल्लाने की बारी है।
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
कला, मनोरंजन, शायरी, शेर, समाज, हिन्दी साहित्य
Will AI Replace Web Developers (And How Should You Adapt)?
-
Short answer: It depends. For a better answer, you'll have to read this
post.
2 days ago
No comments:
Post a Comment