प्रबंधक ने महिला लिपिक से कहा
‘‘अपना मुरझाया
चेहरा चमका लो
मुख्यालय ने तुम्हारा वेतन बढ़ा दिया है,
अब तो तुम करना जमकर खरीददारी
मैंने तुम्हारी वेतनवृद्धि को भी रजिस्टर में चढ़ा दिया है,
संभव है मेरा यहां से स्थानांतरण भी हो जाये
तय बात है तुम्हारे अच्छे दिन आने वाले हैं।’’
सुनकर खुश हो गयी लिपिक और चहकते हुए बोली-‘‘
आपके आदेशों का पालन करते हुए मैं तंग आ गयी,
पता नहीं चला चेहरे पर कब मुर्दानगी छा गयी,
वेतनवृद्धि पर जश्न मनाने की परवाह नहीं है
आपका स्थानांतरण होने की खबर थोड़ी अच्छी लगी
जब आयेगी तक मान लूंगी
मेरे अच्छे दिन आने वाले हैं।’’
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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