Monday, May 5, 2014

बेबसी में इंसान गद्दार हो जाता है-हिन्दी कवितायें(bebasi mein insan gaddar ho jaata hai-hindi kavitaen)



जिंदगी में आते हैं ऐसे भी मौके

 जब दिल की बात कहना चाहते  पर कह नहीं पाते,

खामोशी में ताकत बहुत पर उसका साथ भी ज्यादा सह नहीं पाते।

कहें दीपक बापू हालत जब मुश्किल हों

होठों में बुदबुदा लेते हैं

जब सामने खड़ा दृश्य देखने की चाहत नहीं होती

चाहें तो आंखें भी बंद नहीं कर पाते।

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खूबसूरत रास्तों पर चलते हुए

तंग गलियों से भी सामना हो जाता है,

हमेशा सूघते हुए फूलों की खुशबू

नाक का सामना बदबू से भी हो जाता है।

कहें दीपक बापू इंसान हमेशा सहज नहीं होता 

अपना भरोसा नहीं निभाता

बेबसी में वह गद्दार भी हो जाता है।

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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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