अपने कदम इस तरह बढ़ाओ
हादसे के खतरे कम रहें,
अपने होश काबू में रखो
हालातों से बेहोश होना अच्छा नहीं
जब जंग सामने हो
हाथ और पांव से बोलें
मुंह से कुछ न कहें।
कहें दीपक बापू
सड़क पर फरिश्ते भी चलते हैं,
शैतान भी खडे हैं जिनके दिल जलते हैं,
पता नहीं किसकी नीयत काली है किसकी सफेद
कौन प्यार करेगा कौन हमला
यह कहना मुश्किल है
दिल-ओ-दिमाग पर रखें काबू
जुल्म से जूझने को हमेशा तैयार रहें।
हादसे के खतरे कम रहें,
अपने होश काबू में रखो
हालातों से बेहोश होना अच्छा नहीं
जब जंग सामने हो
हाथ और पांव से बोलें
मुंह से कुछ न कहें।
कहें दीपक बापू
सड़क पर फरिश्ते भी चलते हैं,
शैतान भी खडे हैं जिनके दिल जलते हैं,
पता नहीं किसकी नीयत काली है किसकी सफेद
कौन प्यार करेगा कौन हमला
यह कहना मुश्किल है
दिल-ओ-दिमाग पर रखें काबू
जुल्म से जूझने को हमेशा तैयार रहें।
लेखक-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
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5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
८.हिन्दी सरिता पत्रिका
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