Sunday, August 19, 2012

ज़िन्दगी के रास्ते पर सोचकर रखना कदम-हिंदी कविता (zindagi ke raste par kadam-hindi kavita


ज़िन्दगी  के रास्ते पर अपने कदम कदम
फूंक फूंककर कर रखना
अगर पांव फिसले तो तुम्हारी चीत्कार
कोई नहीं सुन पायेगा,
भीड़ तो होगी चारों तरफ
मतलबपरस्ती में फंसी है सभी की सोच
अपने मसलों में उलझा है सभी का ध्यान
कोई बंद लेगा अपने कान
कोई अनुसनी कर चला जायेगा।
कहें दीपक बापू
ज़माने के लोग
सुनते नहीं है
इसका मतलब सभी को  समझना न बहरां
बस, उनके कान पर खुदगर्जी का है पहरा
अपनी दिल और दिमाग  की लगाम
अपने हाथ में रखना
गैर का क्या धोखा देंगे
अपना भी बेवफाई न कर पायेगा।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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