वह चीखकर अपना दर्द
ज़माने को सुना हैं,
भीड़ लगी उनके घर के दरवाजे पर
लोग तरह तरह के इलाज पर
एक दूसरे के कान में गुनागुना रहे हैं,
लगता नहीं उनका मसला हल होगा।
चर्चा होगी पूरे शहर में
मगर घाव उनका वहीं होगा।
कहें दीपक बापू
अपना गम चौराहे पर सुनाने से
पहले सोचना होगा
लोगों के दिल में जज़्बात हैं भी कि नहीं
वरना खामोशी से अपनी हालातों को पीना होगा।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ज़माने को सुना हैं,
भीड़ लगी उनके घर के दरवाजे पर
लोग तरह तरह के इलाज पर
एक दूसरे के कान में गुनागुना रहे हैं,
लगता नहीं उनका मसला हल होगा।
चर्चा होगी पूरे शहर में
मगर घाव उनका वहीं होगा।
कहें दीपक बापू
अपना गम चौराहे पर सुनाने से
पहले सोचना होगा
लोगों के दिल में जज़्बात हैं भी कि नहीं
वरना खामोशी से अपनी हालातों को पीना होगा।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
८.हिन्दी सरिता पत्रिका
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