Saturday, January 14, 2012

हादसे और हमले फिक्स क्यूँ दिखते हैं-हिन्दी व्यंग्य कविता (hadse aur hamale fix kyun dikhte hain-hindi vyangya kavita or satire poem)

हैरानी है यह देखकर
कुछ लोगों को
कभी हादसे तो
कभी हमले भी फिक्स क्यूँ  लगते हैं।
कहें दीपक बापू
जो जूता मारे और जो खाये
दोनों ही टीवी पर प्रचार पाते,
विज्ञापनों के बीच उनके नाम भी छाते,
सनसनी, हास्य और चिंतन से भरे
सभी समाचार मिक्स दिखते हैं,
गोया पर्दे के पीछे लेखक पहले पटकथा लिखते हैं,
अपनी अपनी पसंद है
लोग देखने के लिए रात भर जगते हैं।

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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