हैरानी है यह देखकर
कुछ लोगों को
कुछ लोगों को
कभी हादसे तो
कभी हमले भी फिक्स क्यूँ लगते हैं।
कहें दीपक बापू
जो जूता मारे और जो खाये
दोनों ही टीवी पर प्रचार पाते,
विज्ञापनों के बीच उनके नाम भी छाते,
सनसनी, हास्य और चिंतन से भरे
कभी हमले भी फिक्स क्यूँ लगते हैं।
कहें दीपक बापू
जो जूता मारे और जो खाये
दोनों ही टीवी पर प्रचार पाते,
विज्ञापनों के बीच उनके नाम भी छाते,
सनसनी, हास्य और चिंतन से भरे
सभी समाचार मिक्स दिखते हैं,
गोया पर्दे के पीछे लेखक पहले पटकथा लिखते हैं,
अपनी अपनी पसंद है
लोग देखने के लिए रात भर जगते हैं।
गोया पर्दे के पीछे लेखक पहले पटकथा लिखते हैं,
अपनी अपनी पसंद है
लोग देखने के लिए रात भर जगते हैं।
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
८.हिन्दी सरिता पत्रिका
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