आशिका और माशुका ने मिलकर
अपने एकल और युगल ब्लाग पर
खूब पाठ लिखे,
कभी सप्ताह भर तो
कभी माह बाद दिखे
साल भर कर ली जैसे तैसे लिखाई।
दोनों अपने एकल ब्लाग पर दिखते थे,
साल के नंबर वन के ब्लागर का
खिताब पाने की दोनों को ललक थी
पर कहीं सामुदायिक ब्लागर पर भी
दाव चल जाये इसलिये
युगल ब्लाग भी लिखते थे,
कभी प्यार तो, कभी व्यापार पर तो,
कभी नारीवाद पर भी की खूब लिखाई।
साल के नंबर वन के ब्लागर का
खिताब पाने की दोनों को ललक थी
पर कहीं सामुदायिक ब्लागर पर भी
दाव चल जाये इसलिये
युगल ब्लाग भी लिखते थे,
कभी प्यार तो, कभी व्यापार पर तो,
कभी नारीवाद पर भी की खूब लिखाई।
जैसे तैसे वर्ष निकला
नव वर्ष के पहले दिन ही
सुबह आशिक ब्लागर ने
माशुका के फोन की घंटी बजाई।
नींद से उठी माशुका ने भी ली अंगड़ाई।
उधर से आशिक बोला
‘नव वर्ष की हो बधाई’,
माशुका ने बिना लाग लपेटे के कहा
‘छोड़ो सब यह बेकार की बात
यह तो ब्लाग पर ही लिखना,
अब तो नंबर वन के लिये कोशिश करते दिखना,
बहुत जगह बंटेंगे पुरस्कार
इसलिये तुम मेरा ही नाम आगे करना,
मैंने दूसरे लोगों से भी कहा है
वह भी मेरे लिये वोट जुटायेंगे
लग जाये शायद मेरे हाथ कोई इनाम
जब लोग लुटायेंगे,
वैसे तुम अपने नाम की कोशिश मत करना
क्योंकि हास्य कविताओं के कारण
तुम्हारी छवि अच्छी नहीं है
तुम्हारा मन न खराब हो
इसलिये तुम्हें यह बात नहीं बताई।’
नव वर्ष के पहले दिन ही
सुबह आशिक ब्लागर ने
माशुका के फोन की घंटी बजाई।
नींद से उठी माशुका ने भी ली अंगड़ाई।
उधर से आशिक बोला
‘नव वर्ष की हो बधाई’,
माशुका ने बिना लाग लपेटे के कहा
‘छोड़ो सब यह बेकार की बात
यह तो ब्लाग पर ही लिखना,
अब तो नंबर वन के लिये कोशिश करते दिखना,
बहुत जगह बंटेंगे पुरस्कार
इसलिये तुम मेरा ही नाम आगे करना,
मैंने दूसरे लोगों से भी कहा है
वह भी मेरे लिये वोट जुटायेंगे
लग जाये शायद मेरे हाथ कोई इनाम
जब लोग लुटायेंगे,
वैसे तुम अपने नाम की कोशिश मत करना
क्योंकि हास्य कविताओं के कारण
तुम्हारी छवि अच्छी नहीं है
तुम्हारा मन न खराब हो
इसलिये तुम्हें यह बात नहीं बताई।’
आशिक बोला-
‘अरे, यह क्या चक्कर है
मैंने तुम्हें पास से कभी नहीं देखा
फोटो देखकर ही पहचान बनाई,
अब तुम कैसी कर रही हो चतुराई।
क्या इसी नंबर वन के लिये
तुमने यह इश्क की महिमा रचाई।
मैं लिखता रहा पाठ पर पाठ
तुमने वाह वाह की टिप्पणी सजाई।
अब आया है इनाम का मौका तो
मुझे अपनी औकात बताई।
वैसे तुमने भी क्या लिखा है
सब कूड़े जैसा दिखा है
शुक्र समझो मेरी टिप्पणियों में बसे साहित्य ने
तुम्हारे पाठ की शोभा बढ़ाई।
अब मुझे अपना हरकारा बनने के लिये
कह रहे हो
तुम ही क्यों नहीं मेरा नाम बढ़ाती
करने लगी हो मुझसे नंबर वन की लड़ाई।’
‘अरे, यह क्या चक्कर है
मैंने तुम्हें पास से कभी नहीं देखा
फोटो देखकर ही पहचान बनाई,
अब तुम कैसी कर रही हो चतुराई।
क्या इसी नंबर वन के लिये
तुमने यह इश्क की महिमा रचाई।
मैं लिखता रहा पाठ पर पाठ
तुमने वाह वाह की टिप्पणी सजाई।
अब आया है इनाम का मौका तो
मुझे अपनी औकात बताई।
वैसे तुमने भी क्या लिखा है
सब कूड़े जैसा दिखा है
शुक्र समझो मेरी टिप्पणियों में बसे साहित्य ने
तुम्हारे पाठ की शोभा बढ़ाई।
अब मुझे अपना हरकारा बनने के लिये
कह रहे हो
तुम ही क्यों नहीं मेरा नाम बढ़ाती
करने लगी हो मुझसे नंबर वन की लड़ाई।’
सुनकर माशुका भड़की
‘बंद करो बकवास!
तुमसे अधिक टिप्पणियां तो
मेरे ब्लाग पर आती हैं
तुम्हारी साहित्यक टिप्पणियों पर
मेरी सहेलियों ने मजाक हमेशा उड़ाई।
वैसे तुम गलतफहमी में हो
तुम जैसे कई पागल फिरते हैं अंतर्जाल पर
मैंने सभी पर नज़र लगाई।
एक नहीं सैंकड़ों मेरे नंबर वन के लिये लड़ेंगे
सभी तमाम तरह से कसीदे पढेंगे,
तुम अपना फोन बंद कर दो
भूल जाओ मुझे
तुम्हारे बाद वाले का भी फोन आयेगा
वही मेरी नैया पार लगायेगा
तुम चाहो तो बन जाओ भाई।’
‘बंद करो बकवास!
तुमसे अधिक टिप्पणियां तो
मेरे ब्लाग पर आती हैं
तुम्हारी साहित्यक टिप्पणियों पर
मेरी सहेलियों ने मजाक हमेशा उड़ाई।
वैसे तुम गलतफहमी में हो
तुम जैसे कई पागल फिरते हैं अंतर्जाल पर
मैंने सभी पर नज़र लगाई।
एक नहीं सैंकड़ों मेरे नंबर वन के लिये लड़ेंगे
सभी तमाम तरह से कसीदे पढेंगे,
तुम अपना फोन बंद कर दो
भूल जाओ मुझे
तुम्हारे बाद वाले का भी फोन आयेगा
वही मेरी नैया पार लगायेगा
तुम चाहो तो बन जाओ भाई।’
माशुका ब्लागर ने फोन पटका उधर
इधर आशिक ब्लागर आसमान की तरफ
आंखें कर लगभग रोता हुआ बोला
‘हे सर्वशक्तिमान यह क्या किया
इश्क रचा तो ठीक
पर नववर्ष की परंपरा क्या बनाई,
जिससे इश्क में मैंने पाई विदाई।।
इधर आशिक ब्लागर आसमान की तरफ
आंखें कर लगभग रोता हुआ बोला
‘हे सर्वशक्तिमान यह क्या किया
इश्क रचा तो ठीक
पर नववर्ष की परंपरा क्या बनाई,
जिससे इश्क में मैंने पाई विदाई।।
नोट-यह एक काल्पनिक हास्य कविता मनोरंजन की दृष्टि से लिखी गयी है। इसक किसी घटना या व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है। किसी की कारिस्तानी से मेल हो जाये तो वही इसके लिये जिम्मेदार होगा।
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
No comments:
Post a Comment