Tuesday, May 5, 2015

मजबूरी बढ़ेगी जितनी वफादारी घटती जायेगी-हिन्दी कविता(mazboori badhegi jitni vafadari ghatti jayegi-hindi poem)


महंगाई तो यूं ही
बढ़ती जायेगी।

भावनायें होंगी सस्ती
हृदय में संवेदनशीलता
घटती जायेगी।

कहें दीपक बापू भरे पेट से
सर्वशक्तिमान की हो
या देश की
भक्ति सहजता से होती है,
रोटी की तलाश में नाकामी
अपने से ही विश्वास खोती है,
मजबूरी बढ़ेगी जितनी
इंसानों में वफादारी उतनी ही
घटती जायेगी।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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