Monday, May 11, 2015

आम आदमी और नये शक्तिमान-हिन्दी कविता(aam aadmi aur naye shaktiman-hindi kavita,new superman-hindi poem)

ऊंचाई पर पहुंच जाते
चालाकियों के सहारे से
फिर नीचे गिरने से डरते हैं।

नीचे खड़ा इंसान
सिर न उठाये
इसलिये सीना ताने रहते
पीछे से कोई धकिया न दे
इस भय में भी
पल पल मरते हैं।

कहें दीपक बापू आम आदमी से
खुश रहो सबकी भलाई का
जिम्मा लिये बिना जिंदगी बिताते हो,
चुनाव के समय भाग्यविधाताओं में
अपना नाम गिनाते हो,
यह अलग बात है जिनकों
बना देते हो शक्तिमान
वह अपना ही घर भरते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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