Monday, May 25, 2015

यकीन करें या उपेक्षा-हिन्दी कविता(yakin karen ya upeksha-hindi poem)


निरर्थक विषय पर
बोलें या मौन रहें
कई बार भ्रम हो जाता है।

इंसानों के वादे पर
यकीन करें या उपेक्षा
सोच का क्रम खो जाता है।

कहें दीपक बापू घरती पर
फरिश्ते पैदा होते नहीं
आकाश से टपकना भी मुश्किल
इंसान के बने अंतरिक्ष यानों के बीच
मार्ग ढूंढते ढूंढते ही
उनका पूरा श्रम हो जाता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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