जिसे प्रचार
माध्यम भारतीय क्रिकेट टीम कहते हैं दरअसल उसे हमने हमेशा बीसीसीआई (भारतीय
क्रिकेट नियत्रंण मंडल) कहते हैं। उसी तरह
जिसे आस्ट्रेलिया की टीम कहा जाता है वह भी एसीबी की टीम है। कथित विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता में देशों
के द्वंद्व का वहां के जनमानस को
बहलाने के लिये फिल्मीकरण इस तरह किया गया
है कि लोग देशभक्ति में ओतप्रोत होकर मैच देखते हैं। इसमें धर्म का भी इस्तेमाल किया जाता है। समाज
का कोई न छूटे इसलिये पूरे देश के लोगों की अपने टीम की सर्वशक्तिमान से दुआऐं मांगने
का भी खूब प्रचार होता है। जो टेलीफोन, जीवन बीमा, जूते तथा टीवी की
कंपनियां चला रहे हैं वही फिल्मों और टीवी धारावाहिक से भी कमाने का अवसर नहीं गंवाते। अब तो खेल भी उनके लिये मनोरंजन व्यवसाय हो गया
है। इन्हीं व्यवसायियों प्रबंधकों ने फिल्म की तरह क्रिकेट को भी कमानो
का ऐसा साधन बना दिया है कि पता ही नहीं लगता कि जनमानस कब भ्रमित होकर मैचों में
अपनी देशभक्ति के साथ ही धार्मिक भाव दिखाने लगता है।
एक सिख क्रिकेट
विशेषज्ञ हमेशा ही क्रिकेट चर्चाओं में आते हैं पर आज उन्होंने एक प्रादेशिक
हिन्दी चैनल में यह सत्य वचन कह दिया कि ‘क्रिकेट का खेल
प्रचार माध्यमों की वजह से भारी प्रतिष्ठित अर्जित कर रहा है।’
यह बात कभी वह
कथित राष्ट्रीय व्यवसायिक टीवी चैनल पर कह ही नहीं कह सकते। पहली बात तो इन्हें
ऐसी बात कहने के लिये अवसर ही नहीं दिया जाता और अगर वह कहीं ऐसे ही सत्य वचन कह
दें तो फिर उनको वहां बुलाना ही बंद कर देंगे। उन्होंने बहुत से सत्य वचन कहे। ऐसा
लगता था कि हमारे मन की बात कह रहे हों।
एक
टीवी चैनल ने तो लगभग डरा ही दिया है।
उसने बताया कि सट्टेबाजों की पसंदीदा टीम आस्ट्रेलिया है। किसी समय हम
क्रिकेट के दीवाने थे पर जब से फिक्सिंग का भूत की चर्चा आई हमारे लिये कोई भी मैच
फुर्सत का विषय हो जाता है। इधर एक चाणक्य मछली ने भविष्यवाणी की है कि भारत
आस्ट्रेलिया को हरा देगा। हमारे लिये कल का मैच चाणक्य मछली और सट्टबाजों के बीच
स्पर्धा की तरह होगा। पूरा मैच देख पायेंगे इसकी संभावना नहीं है क्योंकि अब रुचि
नहीं रही।
दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर