Thursday, December 27, 2012

जुल्म से लड़ने के लिये हमेशा तैयार रहें-हिन्दी कविता

अपने कदम इस तरह बढ़ाओ
हादसे के खतरे कम रहें,
अपने होश काबू में रखो
हालातों से बेहोश होना अच्छा नहीं
जब जंग सामने हो
हाथ और पांव से बोलें
मुंह से कुछ न कहें।
कहें दीपक बापू
सड़क पर फरिश्ते भी चलते हैं,
शैतान भी खडे हैं जिनके दिल जलते हैं,
पता नहीं किसकी नीयत काली है किसकी सफेद
कौन प्यार करेगा कौन हमला
यह कहना मुश्किल है
दिल-ओ-दिमाग पर रखें काबू
जुल्म से जूझने को हमेशा तैयार रहें।
लेखक-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

८.हिन्दी सरिता पत्रिका 

इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका

दीपक भारतदीप का चिंतन