राजकाज दलालों के हाथ है,
कायदा अब कमीशने के साथ है।
कहें दीपकबापू रखेगा भगवान
सदियों से संसार उसे हाथ है।
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विकास पथ पर धुंआं चढ़ा है,
जिंदा आदमी मुर्दे जैसे खड़ा है।
कहें दीपकबापू भीड़ बहुत है
फिर भी तन्हाई का खौफ बढ़ा है।।
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राजपथ पर आमजन नहीं चलेंगे,
जनपथ पर राजा नहीं चलेगें।
कहें दीपकबापू लोकतंत्र में भी
तय हुआ साथ नहीं चलेंगे।
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रुपहले पर्दे के दृश्य हैं झूठे,
विज्ञापन के साथ दिल लूटे।
कहें दीपकबापू जापते नाम
न आंख रोती न देखे सपने टूटे।
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पद के मद में बह रहे है।
सुने कम बस अपनी कह रहे हैं।
कहें दीपकबापू जमीन पर खड़े
आमजन मौन सब सह रहे हैं।
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