Wednesday, April 29, 2015

सौदागर बन जाते शूकर-हिन्दी कविता(saudagar ban jaate shukar-hindi poem)

वाचाल व्यक्ति भी
पैसे से पद की
प्रतिष्ठा पा जाते हैं।

बेईमान व्यक्ति भी
ईमानदार होने का अभिनय कर
ज़माने भर की
निष्ठा पा जाते हैं।

कहें दीपक बापू समाज सेवा में
सौदागरों भी आजमाते भाग्य
पवित्र हृदय से मिलता दान,
नहीं रखते उस धन का मान,
शूकर की तरह बनाकर
विष्टा खा जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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८.हिन्दी सरिता पत्रिका

Thursday, April 23, 2015

हे ईश्वर हम पर कृपा बरसाना-हिन्दी कविता(he ishwar ham par kripa barsana-hindi poem)


हे ईश्वर,
आकाश से समय पर
अमृत जल बरसाना।

गर्मी में हिमालय से
बर्फ भेजकर
फिर न तरसाना।

कहें दीपक बापू इंसानों में देव
तुमने बहुत बसाये हैं,
वह कभी हमारे
नहीं काम आये हैं।
अपने खज़ाने भरने से
समय मिलता नहीं,
अपने इलाज के लिये
पंचतारा अस्पताल
उनके मिल जाते
इसलिये गरीब के दर्द से
उनका दिमाग हिलता नहीं,
उन पर तेरी कृपा
रहती हमेशा
इस बार हम पर भी बरसाना।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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८.हिन्दी सरिता पत्रिका

Tuesday, April 14, 2015

कोई दूसरा आये-हिन्दी कविता(koee doosra aaye-hindi kavita)

कोई दूसरा हमारा दर्द
आकर दूर करे।

कोई दूसरा आकर
हमारी गरीबी दूर करे।

अक्सर यह ख्याल
हमारे दिल में आता है
कोई स्वयं बुलाये
संकट दूर करे।

कहें दीपक बापू चमत्कार की प्रतीक्षा
करते करते समय
बीतता जाता है
तब भी ख्याल आता है
हमारी आंखों से घड़ी दूर करे।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Friday, April 3, 2015

शैतानों को पहना दिये फरिश्तों के नकाब-हिन्दी व्यंग्य कविता(shaitanon ko pahana diye farishton ke nakab-hindi satire poem)


कौन है वह
ज़माने के खराब
हालात बता रहा है।

शैतानों को पहना तो दिये
फरिश्तों जैसे नकाब
कौन है वह
लुटेरों के सामने पहरेदारों को
बेबस जता रहा है।

किताबों में लिखे कायदों से
सब कुछ ठीक चल रहा है
वह कौन है
नींद में सो रहे राजमहलो ंको
दर्द के सपने दिखाकर
बुरी तरह सता रहा है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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