Tuesday, March 13, 2012

शैतानीयत-हिन्दी कविता (shaitaniyat-hindi kavita)

भूखे इंसान से भला इस दुनियाँ में कौन डरता है,
सारे राह कत्ल तो हवस का गुलाम करता है।
रोटी की तलाश में हर आदमी हो जाता बेबस
खजाने भरने का मोह उसमें शैतानियत भरता है।
कहें दीपक बापू अन्न और जल की कमी नहीं है
इंसान दूसरे को तरसता देख दिल खुश करता है।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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