बेहूदे बयानों से मशहूरी बटोरने में होती आसानी है,
शीतल वाणी से कही बात किसी ने नहीं मानी है।
इधर उधर की बात कर अपना सच लोग छिपाते हैं,
दूसरे के दर्द जमाने के सामने पर्द पर दिखाते हैं,
अपने नाम की चर्चा होती रहे इसलिये करते पाखंड,
अपनी छवि चमकाते दूसरे की करे खंड खंड,
अपनी भाषा के चमकाने के लिये अपशब्द जोड़ते हैं,
बात न बने तो शब्दों की टांग भी तोड़ते हैं।
कहें दीपक बापू किसी से तारीफ छोड़ने की आशा छोड़
हमने भी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने की तरफ ठानी है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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