Wednesday, November 25, 2015

तन्हाई सभी के संग है-हिन्दी कविता(Tanhai Sabhi ke Sang hai-Hindi Kavita


आलीशान इमारत
बड़े कमरे ऊंचे दरवाजे
मगर रहवासियों की
सोच का रास्ता तंग है।

रंगबिरंगे पर्दे हवा में
लहरा रहे हैं
मगर अनुभूतियां बेरंग हैं।

कहें दीपकबापू ताना देते
आपस में कमजोरियों पर
हंसने की जबरन कोशिश
तन्हाई सभी के संग हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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