Wednesday, September 2, 2015

दुनियां के मजदूरों समझदार हो जाओ-हिन्दी कविता(duniya ke mazdoor samajhdar ho jao-hindi poem)

दुनियां के मज़दूरों
अब समझदार भी हो जाओ।

करते हैं जो तुम्हें महलों का
स्वामी बनाने का दावा
दौलतमंदों के लिये
करते छलावा
हड़ताल पर मत जाओ।

कहें दीपकबापू हंसिया हथौड़ा
तुम्हारी मजदूरी के हथियार हैं
हुड़दंग का चिन्ह न बनाओे
 दलाल भेड़ों की भीड़ की तरह
तुम्हें चौराहों पर सजाते हैं
उनके बहकावे में न आओ।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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