Sunday, June 21, 2015

काली दौलत के कद्रदान-हिन्दी कविता(kali daulat ke kadradan-hindi poem)


चौराहे पर दिखाते
दबंग का किरदार
घर के बाहर उनके
दरबान खड़ा है।

भलाई के नारे से
जुटा ले आम इंसानों की भीड़
सौदागरों के लिये
वही मेहरबान बड़ा है।

कहें दीपक बापू भरोसे पर
दुनियां चलती है,
गद्दारी भी साथ ही पलती है,
स्वच्छ छवि बनाते सभी
दिलसे काली दौलत का
हर कोई कद्रदान बड़ा है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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