Sunday, April 13, 2014

प्रश्न पूछने की इजाजत देते-हिन्दी व्यंग्य कविता(prashna uoochhne ki izajat-hindi satire poem)



पहले वह उत्तर सोचते हैं
फिर प्रश्न पूछने की इजाजत देते हैं,
कभी किसी विषय पर आता है उत्तर दिमाग में
तब सवाल पूछने वाले की तलाश कर लेते हैं।
कहें दीपक बापू प्रायोजन का ज़माना है,
मर्मरहित होकर धर्म कर्म से सभी को कमाना है,
खेल में हार और प्रचार में छवि पर मार से
सभी इंसान डरते हैं,
पैसा देकर हर सच्चे दृश्य भी
पहले लिखकर तय करते हैं,
अपने अंदाज के बयान और अदाओं की शान के लिये
अक्ल कभी उधार कभी नकदी में पेशेवरों से लेते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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