Friday, March 21, 2014

छोटी नीयत के लोग-हिन्दी व्यंग्य कविता(chhoti neeyat ke log-hindi vyangya kavita)



भरोसा देकर थोड़ी देर के साथी हमारा दिल लूट जाते हैं,
मतलब तक साथ निभाते सभी फिर छूट जाते हैं।
हार बार बाज़ार में सजता है कुंभ की तरह वादों का मेला,
सपने सामने दिखाते पीछे छिपाकर चालाकी गुरु और चेला,
मंच पर वक्ता बदलते है मगर जुबां से बात एक ही सुनाते,
शब्दों का जादू जिनका चल जाये वह कीमत लेकर भुनाते,
जहान को बदलने का नारा सुनते हुए लोगों के कान पक गये,
न हालात बदले न वादों की शक्ल सौदागर आते रोज नये,
कहें दीपक बापू ऊंची बातें करते हैं छोटी नीयत के लोग
हम तो एक कान से सुनते दूसरे से निकाले जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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