Sunday, December 22, 2013

पत्थरों की सितारों जैसी शान है-हिन्दी व्यंग्य कविता(pattharon ki sitaron jaisee shaan hai-hindi vyangya kavita-hindi vyangya kavita)

ऊंचे सपने बेचना आसान है,
बाज़ार में खरीददारों की भीड़ लग जाती
बदहाल हर आम इंसान है।
कहें दीपक बापू
जितनी महंगाई बढ़ेगी
सस्ते सामान दिलाने के भाषण पर
भीड़ जुट जायेगी,
मिले न अन्न का दाना
शब्दों पर ही वाह वाह गायेगी,
बेईमानी पर सुनाओ ढेर सारी कथायें,
इसी तरह अपनी ईमानदारी बतायें,
प्यासे पर पानी की बरसात का करें वादा,
लूट लें तारीफ मुफ्त
न हो भले एक बूंद देने का इरादा,
भगवान भरोसे चला है देश हमेशा
पत्थरों पर पोता गया सौंदर्य प्रसाधन
सितारों जैसी बनी गयी उनकी शान है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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