Friday, October 11, 2013

दिल के सौदागर-हिन्दी व्यंग्य कविता(Dil ke saudagar-hindi vyangya kavita,traders of heart-hindi satire poem)



खूबसूरत चेहरे निहार कर
आंखें चमकने लगें
पर दिल लग जाये यह जरूरी नहीं है,
संगीत की उठती लहरों के अहसास से
कान लहराने लगें
मगर दिल लग जाये जरूरी नहीं है।
जज़्बातों के सौदागर
दिल खुश करने के दावे करते रहें
उसकी धड़कन समझंे यह जरूरी नहीं है।
कहें दीपक बापू
कर देते हैं सौदागर
रुपहले पर्दे पर इतनी रौशनी
आंखें चुंधिया जाती है,
दिमाग की बत्ती गुल नज़र आती है,
संगीत के लिये जोर से बैंड इस तरह बजवाते
शोर से कान फटने लगें,
इंसानी दिमाग में
खुद की सोच के छाते हुए  बादल छंटने लगें,
अपने घर भरने के लिये तैयार बेदिल इंसानों के लिये
दूसरे को दिल की चिंता करना कोई मजबूरी नहीं है।

दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'
ग्वालियर,मध्यप्रदेश

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

No comments:

इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका

दीपक भारतदीप का चिंतन