सारे राह कत्ल तो हवस का गुलाम करता है।
रोटी की तलाश में हर आदमी हो जाता बेबस
खजाने भरने का मोह उसमें शैतानियत भरता है।
कहें दीपक बापू अन्न और जल की कमी नहीं है
इंसान दूसरे को तरसता देख दिल खुश करता है।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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