Sunday, September 19, 2010

अयोध्या का राम मंदिर और जनमानस के राम-हिन्दी कविता (ayodhya mein ram janma bhoomi- hindi poem)

उन्होंने कहा कि
‘तुम अयोध्या के राम मंदिर पर लिखो
उस पर फैसला होने वाला है
जरूर इससे सनसनी फैल जायेगी
तुम्हारी प्रसिद्ध होने भूख भी तभी शांत हो पायेगी।’
मुझे तब अपने घर रखी राम की
तस्वीर दिखाई दी
जिसमें मेरे पूज्य मुस्करा रहे थे
बरबस मैं भी मुस्करा दिया
जैसे इष्ट ने आनंद के झूले में झुला दिया।
मुझे नहीं लगा कि
मेरी कलम इन क्षणो पर अभिव्यक्त हो पायेगी।
मेरे मन में जो हर पल विचरे हैं
उनके प्रति आस्था के बीज
रक्त के कण कण में बिखरे हैं,
अमूर्त रूप से बसे हैं जो आंखों में
तस्वीरों जितने चेहरे भी हैं लाखों में
उनके स्मरण से बढ़ती हुई ताकत
खड़ा कर देती है ज़िदगी के खुशनुमा पलों के सामने
शीतल होती जा रही देह की उंगलियां
ऐसे में कहां आग उगल पायेंगी।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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