Saturday, June 6, 2015

पहले स्वयं तो खा लें मलाई-हिन्दी कविता(pahale swayan to khaa len malai-hindi poem)

हमसे तेल लेकर
अपने घर की
रौशनी उन्होंने जलाई।

चहक रहे हैं वह
अपनी मस्ती में
न चिराग अपना न दियासलाई।

कहें दीपक बापू रौशनदान से
हम भी झंाक लेते हैं,
कैसे वह अपनी दरियादिली
अपने मुंह से फांक देते हैं,
ज़माने की क्या करेंगे भलाई
पहले स्वयं तो खा लें मलाई।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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