जाने पहचाने कहें या दोस्त कुछ पल तो दिल बहला देते हैं।
लिख बोल कर क्या कहें, कैसे हमारे धाव वह सहला देते हैं।
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दिल से चाहते तो हर बंदे के नखरे भी उठा लेते हम।
मुश्किल यह रही वह जुबां से हक मांग कर देते हैं गम।
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जमा कर ली धन संपति, प्रेम का खाता कभी कहीं खोला नहीं।
चाटुकारों की फौज बनाई, जंग में हथियार कोई खोला नहीं।
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समंदर जैसी चौड़ी सड़क पर कारों का झुंड खड़ा है।
गोया विकास के रथ में विनाश का पहिया जड़ा है।
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सड़क स्मार्टफोन और इश्क-हिन्दी हास्य कविता
प्रेमिका ने कहा प्रेमी से
संभलकर कर मोटरसाइकिल चलाना
अपने शहर में
सड़क में कहीं गड्ढे
कहीं गड़्ढों में सड़क है।
प्रेमी ने कहा
‘प्रियतमे! तुम भी बैठे बैठे
स्मार्टफोन पर अपने
चेहरे पर मेकअप करते हुए
सेल्फी मत लेना
हिलने में खतरे बहुत
गिरे तो टीवी पर सनसनी
समाचार बन जायेंगे
अस्पताल पहुंचे तो ठीक
श्मशान में शोकाकुल
मुझे बहुत शर्मांयेंगे
कहेंगे इश्क ने
किया इसका बेड़ा गर्क है।
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