Sunday, July 12, 2015

युवा खून के सौदागर-हिन्दी कविता(yuva shakti ke saudagar-hindi poem)

युवा शक्ति के
विकास का नारा
धन के लोभी लगाते हैं।

कहीं चूसते पसीना
कहीं पैसे के लिये
नशे का बाज़ार सजाते है।

कहें दीपक बापू युवा शक्ति से
देश विकसित हो जाता
अगर कोई खूबसूरत सपने के
सच में उगने के बीज बो पाता,
यहां तो युवा खून के सौदागर
मुफ्त का पसीना बनाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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